डिजिटल इंडिया अभियान और कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने आम जनता की जिंदगी को आसान बना दिया है। आज देश के छोटे-बड़े शहरों, गांवों, मार्केट्स या दुकानों पर हर कोई मोबाइल ऐप से UPI का उपयोग कर रहा है। सिर्फ कुछ सेकंड में पैसे ट्रांसफर करने की यह सुविधा युवाओं, घर-गृहिणियों, दुकानदारों और कर्मचारियों के बीच बेहद लोकप्रिय बन चुकी है।
यह देखा गया कि पिछले कुछ वर्षों में UPI ट्रांजैक्शंस की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसी बढ़ती संख्या के साथ, सिस्टम की सुरक्षा और सर्वर लोड की चुनौती भी बढ़ी है। इसलिए NPCI और सरकार ने 2025 में UPI ट्रांजैक्शंस को लेकर कुछ नए नियम व लिमिट्स लागू किए हैं, जिनके अनुसार दिनभर में मुफ्त ट्रांजैक्शन की सीमा पार करने पर अब चार्ज देना पड़ सकता है।
UPI Transaction Limit 2025
2025 में लागू नए नियम के अनुसार, हर बैंक ग्राहक या UPI यूजर एक दिन में अधिकतम 10 बार फ्री में पैसे भेज या रिसीव कर सकता है। यदि कोई इस सीमा से अधिक, यानी 10 बार से ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन करता है, तो हर अतिरिक्त ट्रांजैक्शन पर चार्ज देना होगा। यह चार्ज सभी बड़े बैंकों, डिजिटल वॉलेट्स और पेमेंट ऐप्स पर लागू होगा।
इस कदम का प्रमुख मकसद सिस्टम पर आ रहे बढ़ते लोड को नियंत्रित करना, धोखाधड़ी रोकना और UPI नेटवर्क को सुरक्षित तथा स्मूद रखना है। यह नियम फंड ट्रांसफर, पेमेंट्स, मर्चेंट पेमेंट, छोटे-बड़े लेन-देन सभी पर लागू होगा।
किसे और कितना चार्ज देना पड़ सकता है?
नई गाइडलाइंस के तहत, यदि आप 10 बार से अधिक UPI ट्रांसफर या पेमेंट करते हैं, तो 11वीं ट्रांजैक्शन से लेकर आगे की हर ट्रांजैक्शन पर ₹2 से ₹5 तक का शुल्क जुड़ सकता है। अलग-अलग बैंकों और ऐप्स के हिसाब से यह चार्ज कुछ ऊपर-नीचे हो सकता है, लेकिन NPCI ने ₹2 एक न्यूनतम और ₹5 अधिकतम सीमा निर्धारित की है।
उदाहरण के लिए, यदि आप पेटीएम, गूगल पे, फोनपे, या बैंक ऐप से 11वीं बार पैसे भेजते हैं, तो उस पर यह चार्ज लागू होगा। छोटे ट्रांजैक्शंस (₹100 से कम) या व्यापारियों के लिए कुछ राहत दी जा सकती है, लेकिन व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं पर नियम सख्ती से लागू होगा।
चार्ज स्ट्रक्चर: टेबल
ट्रांजैक्शन संख्या प्रति दिन | चार्ज (प्रत्येक ट्रांजैक्शन पर) |
---|---|
1 से 10 | शून्य (कोई चार्ज नहीं) |
11 या उससे ज्यादा | ₹2 – ₹5 प्रति ट्रांजैक्शन |
क्यों लागू किया गया नया नियम?
एनपीसीआई और बैंकिंग संस्थाओं के अनुसार, बिना लिमिट के UPI पर अकसर फर्जीवाड़ा, डी-डॉस अटैक, मनी लॉन्ड्रिंग या सिस्टम लोड जैसी कई समस्याएं सामने आती रही हैं। फ्री और अनगिनत ट्रांजैक्शंस की छूट से सर्वर पर दबाव बढ़ा और कभी-कभी सिस्टम स्लो हो जाता है। साथ ही, इस सुविधा का गलत इस्तेमाल रोकना भी जरूरी हो गया था।
इस नए नियम से न सिर्फ सिस्टम की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि लोगों को लेन-देन में भी फाइनेंशियल डिसिप्लिन आएगा। ये बदलाव सामान्य यूजर्स को प्रभावित कर सकता है, लेकिन व्यापारी, सरकारी भुगतान या ई-कॉमर्स जैसी स्पेशल कैटेगरी को फिलहाल कुछ छूटें मिल सकती हैं।
इसके क्या असर हो सकते हैं?
सबसे बड़ा असर उन लोगों पर होगा, जो दिनभर में कई बार UPI का इस्तेमाल छोटी-छोटी जरूरतों के लिए करते हैं। अब उन्हें अपने उपयोग को प्लान करना पड़ेगा ताकि सीमा पार न हो और चार्ज न भरना पड़े। इस बदलाव से दुकानदारों और ऑनलाइन बिजनेस वालों को ज्यादा सोच-समझकर डिजिटल पेमेंट मैनेज करने की जरूरत पड़ेगी।
यूं आम उपभोक्ताओं के लिए इसका प्रभाव बहुत कम है क्योंकि ज्यादातर लोग 10 से कम ट्रांजैक्शन ही करते हैं। लेकिन फ्रीलांसर, एजेंट, छोटे व्यापारी और कुछ प्रोफेशनल्स के लिए यह नियम खर्च बढ़ा सकता है। बैंकिंग और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स उम्मीद कर रहे हैं कि इससे UPI का मिसयूज रुकेगा और उपयोगकर्ता ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।
UPI के अन्य महत्वपूर्ण नियम और सरकार का उद्देश्य
साल 2025 की गाइडलाइंस में एक दिन में UPI से अधिकतम ₹5 लाख तक का लेनदेन सीमा भी जारी है। इससे ज्यादा की राशि आप UPI से एक दिन में नहीं भेज सकते। सरकार का उद्देश्य डिजिटल पेमेंट्स को आम और सुरक्षित बनाना है, लेकिन उसके साथ जिम्मेदारी और सेट लिमिट जरूरी है।
NPCI (National Payments Corporation of India) द्वारा समय-समय पर दिशानिर्देश बदले जाते हैं ताकि सिस्टम में विश्वसनीयता बनी रहे। सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया अभियान को सही दिशा देने और डिजिटल बैंकिंग को नुकसान से बचाने के लिए है।
संक्षिप्त सार
अब से रोजाना 10 से अधिक UPI भुगतानों पर आपको अतिरिक्त चार्ज देना पड़ सकता है। नया नियम डिजिटल सिस्टम को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने के लिए लागू किया गया है। उपभोक्ताओं को सलाह है कि जरूरत के अनुसार ही ट्रांजैक्शन करें और नए बदलावों की जानकारी बराबर रखें।