भारत में रविवार की छुट्टी सालों से हर कर्मचारी, व्यापारी और सरकारी कर्मचारी के जीवन का हिस्सा रही है। यह छुट्टी न सिर्फ शारीरिक और मानसिक सुकून का जरिया थी, बल्कि परिवार व निजी जीवन को समय देने का प्रमुख माध्यम भी थी। अब केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 1 सितंबर 2025 से रविवार की हफ्तावार छुट्टी खत्म करने की घोषणा कर दी है। इस नई व्यवस्था के लागू होते ही सरकारी कर्मचारियों समेत कई विभागों के लोगों को लगातार छह दिन काम करना होगा।
सरकार के मुताबिक, इस नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र की उत्पादकता बढ़ाना और सरकारी सेवाओं को तेज़ी से लोगों तक पहुँचाना है। देश में लंबित फाइलों, धीमी सरकारी प्रक्रिया व नागरिकों को मिलने वाली सेवाओं में तेजी लाने के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इस बदलाव से अर्थव्यवस्था के विकास में भी रफ्तार आएगी और सरकारी तंत्र ज्यादा कुशल होगा।
नई व्यवस्था से जुड़ी कई चर्चाएँ समाज में चल रही हैं। कई लोगों को चिंता है कि इससे निजी जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जबकि कुछ विशेषज्ञ इसे विकास के नजरिए से देख रहे हैं। कर्मचारी संगठनों द्वारा भी इस बदलाव को लेकर विचार-विमर्श शुरू हो चुका है।
Sunday holiday: 1 September 2025
सरकार ने साफ किया है कि 1 सितंबर 2025 से लगभग सभी सरकारी दफ्तरों, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, परिवहन, पुलिस और अन्य सार्वजनिक विभागों में रविवार को भी सामान्य कामकाजी दिन माना जाएगा। अब सप्ताह में छह दिन – सोमवार से शनिवार तक – लगातार काम करना अनिवार्य होगा। केवल राष्ट्रीय पर्व जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर छुट्टी मिलेगी।
सरकार की नीति के पीछे उद्देश्य
इस इतिहासिक फैसले के पीछे सरकार ने कुछ मुख्य कारण बताए हैं—
- सरकारी कार्यप्रणाली को समयबद्ध और जवाबदेह बनाना।
- नागरिक सेवाओं में लगातार सुविधा, ताकि किसी भी दिन किसी को दफ्तर से निराश न लौटना पड़े।
- अर्थव्यवस्था की गति और उत्पादन बढ़ाना।
- वैश्विक मानकों के अनुरुप सरकारी कुशलता लाना और निवेश आकर्षित करना।
सरकार का मानना है कि छह दिन कार्य सप्ताह की व्यवस्था से निर्णय प्रक्रिया तेज होगी, सरकारी कामकाज लंबित नहीं रहेगा और आम लोगों को दिक्कतें कम होंगी।
विभिन्न विभागों पर असर
नई व्यवस्था के तहत अलग-अलग विभागों के काम करने के घंटे भी बढ़ा दिए गए हैं। नीचे दी गई तालिका से प्रमुख विभागों में बदलाव को समझ सकते हैं—
विभाग | पहले के साप्ताहिक घंटे | अब के घंटे (1 सितंबर 2025 से) |
---|---|---|
स्वास्थ्य | 40 | 48 |
शिक्षा | 35 | 42 |
परिवहन | 38 | 45 |
पुलिस/सुरक्षा | 45 | 50 |
वित्त | 40 | 48 |
इन विभागों में कर्मचारियों के लिए दैनिक समय सारिणी भी दोबारा तय की गई है। इससे उम्मीद की जा रही है कि जनता को लगातार और तेज सेवा मिलेगी, जबकि विभागीय उत्पादकता और कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होगी।
कर्मचारियों के लिए चुनौतियाँ और समाधान
छह दिन काम करने के नए नियम से सबसे बड़ी चुनौती वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने की है। निजी समय, परिवार, बच्चों के साथ वक्त और आराम का समय कम हो जाएगा। कर्मचारी संगठनों ने संभावित तनाव, शारीरिक थकान और कर्मचारियों की संतुष्टि जैसी मुश्किलें रखी हैं।
इस स्थिति को संतुलित करने के लिए सरकार ने कुछ सहायक कदम भी उठाए हैं—
- कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य और मेंटल वेलनेस कार्यक्रम
- समय प्रबंधन व तनाव नियंत्रण की ट्रेनिंग
- मनोरंजन व फ्लेक्सिबल वर्किंग के नए विकल्प
- आपात/विशेष छुट्टियों की सुविधा
सरकार का कहना है कि इन व्यवस्थाओं से उत्पादकता तो बढ़ेगी साथ ही कर्मचारियों के स्वास्थ्य व खुशहाली का भी ध्यान रखा जाएगा।
जनता व निजी क्षेत्र पर असर
यह फैसला मुख्यत: सरकारी अफसरों, कर्मचारियों और सार्वजनिक संगठनों पर लागू होगा। निजी क्षेत्र में फिलहाल कंपनियाँ अपनी आवश्यकतानुसार छुट्टी और कार्य के घंटे तय कर सकेंगी, लेकिन कई कंपनियाँ भी इस बदलाव के अनुसार अपनी नीति बदल सकती हैं। बैंकिंग, ट्रांसपोर्ट व जरूरी सेवाओं में सप्ताह में सातों दिन काम अपेक्षित रहेगा।
हालांकि अभी बैंकिंग क्षेत्र में रविवार की छुट्टी की व्यवस्था जारी है, पर आने वाले समय में यह नियम कई अन्य क्षेत्रों में भी लागू किए जा सकते हैं। ऑफिस कार्य के अलावा स्कूलों और कॉलेजों में भी 6 दिन का शेड्यूल लागू होगा, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए भी बदलाव देखने को मिलेगा।
संक्षिप्त जानकारी
1 सितंबर 2025 से केंद्र सरकार ने रविवार की छुट्टी खत्म कर 6 दिन का कार्य सप्ताह अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य देश में सरकारी सेवाओं की गति और कार्यक्षमता बढ़ाना है। जहां इससे अर्थव्यवस्था व सेवाओं को रफ्तार मिलेगी, वहीं कर्मचारियों के लिए नई दिनचर्या व वर्क-लाइफ बैलेंस चुनौती बन सकता है। फिलहाल, सरकार ने संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न उपायों की घोषणा की है, जिससे कर्मचारी और समाज दोनों लाभान्वित हो सकें।