Income Tax Raid: 12 ट्रकों में भरे नोट + 3 घंटे तक नोट गिनते रहे बैंक कर्मी

Published On: July 22, 2025
Income Tax Raid

हाल ही में भारत में आयकर विभाग ने एक ऐतिहासिक छापा मारा, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। यह कार्रवाई इतनी बड़ी थी कि छापे के दौरान बरामद किए गए नकद रुपये ट्रकों में भरकर ले जाने पड़े। गिनती के लिए बैंक कर्मचारियों और दर्जनों नोट गिनने की मशीनें बुलानी पड़ीं। यह छापा न केवल भारत के इतिहास में सबसे बड़े छापों में गिना गया, बल्कि इससे देश भर में काले धन और टैक्स चोरी की असलियत भी उजागर हुई।

इस रेड का संचालन आयकर विभाग की विशेष टीमों ने कई दिनों तक अलग-अलग जगहों पर किया। कार्रवाई के दौरान सुरक्षा व्यवस्था इतनी सख्त थी कि पैसों को सुरक्षित तरीके से विभाग के खाते में जमा कराने के लिए भी कड़ी निगरानी रही। आम तौर पर इन छापों का मकसद टैक्स चोरी रोकना और आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाना होता है। इस बार जिस नकदी का पता चला, उसे देखकर सब हैरान रह गए।

Income Tax Raid

2023-2024 के दौरान देश के अलग-अलग राज्यों में कई बड़े आयकर छापे पड़े, लेकिन सबसे बहुचर्चित रेड ओडिशा के एक प्रमुख डिस्टिलरी समूह पर हुई। इस छापेमारी में करीब ₹352 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। इस रकम को ट्रकों में भरना पड़ा, क्योंकि इतनी बड़ी राशि को ले जाने के लिए सामान्य साधन कम पड़ गए थे। नकदी की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि गिनने के लिए 36 नोट गिनने वाली मशीनों और कई बैंकों के कर्मचारियों को बुलाया गया

यह छापा कुल 10 दिनों तक चला, जिसमें एक-एक कमरे, फैक्टरी, गोडाउन और ऑफिस की तलाशी ली गई। नोटों की गिनती करना भी आयकर अधिकारियों और बैंककर्मियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया था। जांच के लिए गुप्त सूचनाओं और तकनीकी उपकरणों की भी मदद ली गई

नकदी जब्ती और गिनती की प्रक्रिया

इतनी बड़ी नकदी मिलने के बाद सुरक्षा के साथ नकदी को बड़े ट्रकों में हर कैंपस से निकालकर आयकर विभाग के सुरक्षित खाते में जमा किया गया। नकदी को गिनने के लिए दर्जनों बैंक कर्मचारी बुलाए गए, क्योंकि आम मशीनों से गिनती करना संभव नहीं था।
प्रत्येक नोट की गिनती की गई, और जिस व्यक्ति या कंपनी से पैसे मिले, उनके सामने निकासी की सूची भी तैयार की गई। बैंक कर्मचारी ‘पंच गवाह’ के तौर पर मौजूद रहते हैं, जिससे पूरे आंकड़े में पारदर्शिता बनी रहे।

आमतौर पर ये नकदी सरकारी खातों में, खासकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में, जमा करा दी जाती है। बाद में इन पैसों की पूरी रिपोर्ट बनाई जाती है

कार्रवाईआंकड़ा/विवरण
छापे की अवधि10 दिन
जब्त की गई रकम₹352 करोड़ (ओडिशा डिस्टिलरी केस)
नोट गिनने की मशीनें36
ट्रकों की जरूरतहां, पैसे निकालने के लिए
बैंक कर्मी और अधिकारीसभी बैंक और विभाग के कर्मचारी

छापे के कानूनी व शासनिक पहलू

आयकर विभाग नियमों के अनुसार टैक्स चोरी या काले धन मिलने पर ‘सर्च एंड सीजर’ अभियान चलाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत ऐसे छापे सिर्फ तभी होते हैं जब विभाग को पक्की सूचना मिलती है कि कहीं भारी हवाला, बेनामी संपत्ति या टैक्स चोरी हो रही है।

मौके पर जब्ती के दौरान अधिकारी संबंधित पक्षों के बयान भी दर्ज करते हैं और बाद में पूरी रिपोर्ट बनाते हैं। पकड़ी गई रकम या संपत्ति के अधिकारिक दस्तावेज कोर्ट और सरकारी रिकॉर्ड में भेजे जाते हैं, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती।

ऐसे छापों का राष्ट्रव्यापी असर

इतनी बड़ी कार्रवाई से टैक्स चोरी पर नकेल कसने का सख्त संकेत मिलता है। इससे सरकार को काले धन की जड़ों को पहचानने और आर्थिक पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलती है। पकड़ी गई नकदी का उपयोग आइटी विभाग द्वारा आगे की जांच, टैक्स रिकवरी और कानूनी कार्रवाई के लिए किया जाता है।

छापों के बाद विभाग अधिकारिक तौर पर बयान जारी कर संबंधित पक्षों का पक्ष भी जानता है और जांच आगे बढ़ाने के लिए अन्य एजेंसियों की भी सहायता लेता है। देश में टैक्स कलेक्शन सिस्टम मजबूत करने के लिए यह जरूरी कदम है।

एक छोटा संक्षेप

आयकर विभाग की इस ऐतिहासिक छापेमारी ने देश में काले धन के खिलाफ लड़ाई को नया रफ्तार दी है। ट्रकों में भर-भरकर लाई गई नकदी और बैंक अधिकारी तक गिनती के लिए बुलाए गए — यह घटना आयकर व्यवस्था की मजबूती का जीता-जागता उदाहरण है। हर नागरिक को अपनी आय और संपत्ति को सही तरीके से घोषित करना चाहिए, ताकि ऐसे छापों की जरूरत ही न पड़े और देश का आर्थिक ढांचा ईमानदारी से मजबूत रहे।

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