Check Bounce: सरकार का 2025 में बड़ा फैसला – 3 दिन में भरें पैसे वरना जेल तय

Published On: August 7, 2025
Check Bounce rules

आज के दौर में चेक से लेन-देन बेहद आम है, लेकिन कई बार चेक बाउंस की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे न केवल धन का नुकसान होता है बल्कि कानूनी पेच भी बढ़ जाता है। बीते वर्षों में चेक बाउंस के मामलों में इज़ाफ़ा देखने को मिला है, जिस वजह से सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 2025 में चेक बाउंस के नियमों को और कड़ा कर दिया है। अब हर कोई, जो जानबूझकर या लापरवाही से चेक देता है और वह बाउंस हो जाता है, उसे सीधे जेल या भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।

सरकार का ये फैसला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत लिया गया है ताकि धोखाधड़ी और भुगतान में पारदर्शिता बढ़ सके। नए नियम 1 अप्रैल 2025 से पूरे देश में लागू हो गए हैं। इसमें न सिर्फ जेल और जुर्माने की अवधि बढ़ाई गई है, बल्कि शिकायत दर्ज करने और न्याय मिलने की प्रक्रिया को और तेज और आसान बनाया गया है।

Check Bounce New Rules

नए कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या बिना पर्याप्त फंड के चेक देता है और वह बाउंस हो जाता है, तो उसे अब पहले से ज्यादा सख्त सजा मिलेगी। पहले चेक बाउंस पर अधिकतम 1 साल की सजा थी, लेकिन अब जेल की अवधि सीधे 2 साल कर दी गई है। इतना ही नहीं, अगर अदालत दोषी ठहराती है तो दोषी से दोगुना (cheque amount का 200%) जुर्माना वसूला जा सकता है

यह सख्ती इसलिए लाई गई है ताकि लोग भुगतान करते समय सतर्क रहें और जानबूझकर गलत चेक जारी न करें। नए नियमों के कारण अब अदालतें भी चेक बाउंस की शिकायतों को ज्यादा जल्दी निपटाएंगी।

बिंदुपहले का नियमनया नियम (2025)
जेलअधिकतम 1 सालअधिकतम 2 साल
जुर्मानाचेक राशि का 1 गुना तकचेक राशि का 2 गुना (200%) तक
शिकायत दर्ज करने की समय सीमाचेक बाउंस के 1 महीने के भीतरचेक बाउंस के 3 महीने के भीतर
ऑनलाइन शिकायतनहींहां (डिजिटल पोर्टल से भी शिकायत संभव)
केस निपटारणसामान्य कोर्टविशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट

चेक बाउंस मामले में प्रक्रिया क्या है?

अगर बैंक आपके चेक को बाउंस कर देता है यानी वह “insufficient funds” या किसी और कारण से अनादृत है, तो बैंक आपको एक ‘चेक रिटर्न मेमो’ देता है। इसके बाद, जिस व्यक्ति के नाम चेक था (पेयी), उसको 30 दिन में लिखित नोटिस भेजनी होती है। नोटिस मिलने के बाद चेक जारी करने वाले को 15 दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान करना जरूरी है।

अगर वह शख्स 15 दिन के भीतर पैसा नहीं लौटाता, तब पीड़ित (पेयी) अगले 30 दिन में कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है। नवीनतम नियमों के चलते, अब यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन भी हो सकती है, जिससे कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है और मामला फास्ट-ट्रैक कोर्ट में जल्दी निपट सकता है

किन मामलों में राहत मिल सकती है?

अगर चेक तकनीकी खराबी, बैंक की गलती या सिग्नेचर मिस्टेक के चलते बाउंस हुआ है, तो इन मामलों में राहत दी जा सकती है। लेकिन अगर राशि कम है या जानबूझकर फंड नहीं रखा गया है तो कानून सख्ती से लागू होगा। ध्यान रहे, चेक डेफॉल्ट अगर व्यापारिक या कर्ज के मामलात में हुआ है तब ही केस बनेगा, उपहार, दान आदि पर केस नहीं बनता।

बैंकों द्वारा वसूला जाने वाला चार्ज

हर बैंक चेक बाउंस होने पर पेनल्टी वसूलता है, जो ₹50 से ₹750 या उससे ज्यादा हो सकती है। यह जुर्माना दोषी और पीड़ित दोनों से वसूला जा सकता है, जो अलग-अलग बैंक में अलग-अलग हो सकता है।

सरकार का उद्देश्य और नई प्रक्रिया

सरकार का उद्देश्य वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और जनता में जागरूकता लाना है। बार-बार चेक बाउंस होने से आम आदमी तथा बिजनेस, दोनों का भरोसा डगमगाता है और समय-समय पर अदालत में केस लंबित रहते हैं। नए नियमों के तहत कई मामलों में ई-नोटिस, व्हाट्सएप या ईमेल से भी नोटिस मान्य होगी और केस जल्दी निपटेगा।

छोटा सारांश

2025 से लागू नए नियमों के मुताबिक, अब चेक बाउंस मामलों में जुर्माना और जेल दोनों की सजा पहले से दो गुना ज्यादा है। समय से पेमेंट न करने पर सीधे कोर्ट केस, फास्ट ट्रैक सुनवाई और डिजिटल प्रक्रिया के चलते दोषी को राहत मिलना मुश्किल हो गया है। इससे निश्चित तौर पर धोखाधड़ी में कमी आएगी और ईमानदार पेमेंट सिस्टम को मजबूती मिलेगी। सतर्क रहें, चेक जारी करने से पहले अपने खाते में पर्याप्त राशि जरूर रखें, ताकि कानूनी कार्रवाई का सामना न करना पड़े।

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